कम्युनिटी रेडियो: अपना रेडियो स्टेशन शुरू करें
एक समय ऐसा था जब दिनभर किसी न किसी के घर में रेडियों बजता रहता था. उस वक्त रेडियों ही मनोरंजन का साधन होता था. जैसे-जैसे टीवी ने घरों में पैठ बनाई रेडियो के प्रति लोगों का उत्साह कम होता गया. पिछले कुछ दशकों में मनोरंजन का हिसाब-किताब ही बदल गया है. ढ़ेर सारे टीवी चैनल ने यह स्थिति पैदा कर दी थी कि क्या देंखे, क्या न देख्ंों. इन सब के बीच रेडियों जैसे लुप्त सी हो गई.
इस बीच एफएम की शुरूआत ने रडियों में जान फूंक दी. आज हर बड़े शहरों में कई एफएम चैनल शुरू हो चुके है. जिसके चलते रेडियो का जमाना एक बार फिर लौट आया. शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी रेडियों की लोकप्रियता बढ़ रही है. मोबाइल में एफएम होने से इसकी लोकप्रियता और तेजी से बढ़ी है.
दूरसंचार क्रांति की इस अलख को सरकार या प्रायवेट चैनल ही नहीं बल्कि स्थानीय लोग भी जोरशोर से जगा रहे हैं. इसकी मिशाल है कम्युनिटी रेडियो.
कम्युनिटी रेडियो आज छोटे-छोटे गांव व कस्बों के लोगों की आवाज बन कर उभरने लगा है. हाल ही में अहमदाबाद के मनिपुर में एक ऐसा रेडियों स्टेशन शुरू हुआ जिसमें प्रोड्युसर भी ग्रामीण महिलाएं है और जाॅकी भी.
रूढ़ी आॅन रेडियों के जरिये सामाजिक संस्था सेवा इन महिलाओं को चार दीवारी से बाहर ले आयी है. आज अहमदाबाद के आसपास करीब 30 कम्युनिटी रेडियो चैनल चल रहे हैं. इसके साथ ही देश में हजारों कम्युनिटी रेडियो चैनल शुरू हो चुके हैं. कम्युनिटी रेडियो चैनल शुरू करने के लिए सरकार भी मदद कर रही है.
क्या है कम्युनिटी रेडियो?
कम्युनिटी रेडियों द्वारा स्थानीय मुद्दो जैसे ग्रामसभा की दिक्कतें, खेतीबाड़ी से जुड़ी जानकारियां, महिलाओं की समस्याएं, रोजगार आदि पर आधारित प्रोग्राम बनाए जाते है. लोगों को नाटक व संवादों के माध्यम से भष्ट्राचार की शिकायत दर्ज कराने, अंधविश्वास के बारे में जानकारी देना, सरकारी अधिकारी से बातचीत का तरीका, सरकार की नई योजनाओं के साथ-साथ सूचना के अधिकार के बारे में जानकारी दी जाती है.
महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, करयिर और सामाजिक मुद्दों से जुड़े कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं. इसके माध्यम से महिलाओं को शिक्षित करने, स्वस्थ्य रहने के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को उठाने के लिए मदद की जाती है.
झारखंड में कम्युनिटी रेडियो ‘विकल्प’ चलाने वाले शिवशंकर के अनुसार कम्युनिटी रेडियों सरकारी रेडियो से बिलकुल अलग होता है. इसके आर्टिस्ट, प्रोग्राम रेकार्डर, अन्य टेक्नीशियन सभी स्थानीय लोग होते हैं. इसकी रेकार्डिग भी आॅन द स्पाॅट की जाती है.
यदि आप अपने गांव में कम्युनिटी रेडियो की शुरूआत करना चाहते है तो सबसे पहले आप ऐसे लोगों का समूह बनाएं जिन्हें इन कामों में रूचि हो. इसके बाद समूह को या तो गैर सरकारी संस्थान से जोड़ना होगा या फिर सूचना व प्रसारण मंत्रालय से लायसेंस प्राप्त करके कम्युनिटी रेडियो की शुरूआत कर सकते है.
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लायसेंस की प्रक्रिया के लिए अधिक आॅपचारिकता पूरी करने की आवश्यकता नहीं होती. कोई भी स्थानीय स्वयं सेवी संस्था जो पिछले तीन सालों से स्थानीय स्तर पर सामाजिक सरोकारों पर आधारित काम कर रही है, वह सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय में लायसेंस के लिए आवेदन कर सकते है.
लायसेंस मिलने के बाद संस्था 100वाट के ईआरपी इफेक्टिव (रेडिएटेड पाॅवर) वाले रेडियो स्टेशन लगा सकते है जो लगभग 30 से 40 किलोमीटर के दायरे को कवर करता है.
कम्युनिटी रेडियो शुरू करने का मतलब लाभ कमाना नहीं होता है. इसके बावजूद सरकार, यूनीसेफ या सहायता समूहों से स्पाॅन्सरशिप मिल जाती है. साथ ही इससे जुड़े लोगों को हर कार्यक्रम के लिए सरकार द्वारा एक निश्चित रकम दी जाती है.