महिलाएं कारोबार से संबंधित कुछ खास ट्रेनिंग हासिल करके अपनी जिंदगी में खुशहाली ला सकती है. ये ऐसी ट्रेनिंग है जो महिलाओं को स्वालंबी बनने में मदद करती है.
गांव की महिलाएं हो या शहर की, पढ़ीलिखी महिलाएं हो या अनपढ़, उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इन मुसीबतों से निजात पाने के लिए महिलाएं कारोबार से जुड़ी छोटी सी ट्रेनिंग लेकर अपनी जिंदगी को खुशहाल बना सकती है, अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है.
यहां एक ऐसी महिला के बारे में जानकारी देना चाहूंगी, जिसे पढ़कर आप अच्छी तरह से समझ जाएंगी कि महिलाओं को कोई भी छोटी सी ट्रेनिंग क्यों लेनी चाहिए?
संध्या (काल्पनिक नाम) की कम उम्र में शादी हो चुकी थी. शादी के बाद वह गांव से शहर चली आयी. इंदौर में उसका पति आॅटो रिक्शा चलाता था. कुछ दिन सबकुछ अच्छा चलता रहा. उसका पति शराबी था, जो कमाई करता वह शराब में उड़ा देता था. संध्या दो बच्चों की मां भी बन गयी थी. इधर पति द्वारा शराब में सारे पैसे उड़ा देने से खाने के लाले पड़ गए थे. परेशान होकर वह अपने मायके लौट आयी.
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इंदौर में रहते हुए उसने एक स्वयं सेवी संस्था द्वारा कराएं जाने वाले ब्युटी पार्लर की ट्रेनिंग ले चुकी थी. गांव आकर अपने माता-पिता पर बोझ बनने की बजाएं उसने घर पर ब्युटी पार्लर शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उसका काम चलने लगा. उसने गांव में अपना घर भी बना लिया. उसने अपने ब्युटी पार्लर में दो लड़कियों को काम पर रख लिया है. इस तरह एक छोटी सी ट्रेनिंग लेकर संध्या ने अपना काम तो शुरू किया ही साथ ही उसने अन्य महिलाओं को भी रोजगार दिया.
गरीब हो या मध्यम परिवार की, पढ़ी लिखी हो या अनपढ़ सभी महिलाओं को कोई ना कोई ट्रेनिंग लेनी चाहिए. यह जरूरी नहीं है कि अपनी ट्रेनिंग का इस्तेमाल वह खराब परिस्थिति के दौरान ही करें. एक छोटी सी ट्रेनिंग लेकर महिलाएं स्वावलंबी तो होती ही है साथ ही वह अपने समय का सदुप्रयोग करके आर्थिक स्थिति को मजबूत भी बनाती है.
कहां से ले ट्रेनिंग
आजकल शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. शहरों में कई प्रायवेट संस्थान है जहां पर फीस लेकर ट्रेनिंग ले सकते हैं.
सरकार के कुछ विभाग जैसे, समाज कल्याण विभाग, महिला एंव बाल कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक विभाग, सांस्कृतिक विभाग द्वारा समय समय पर महिलाओं को कारोबारी ट्रेनिंग दी जाती है.
साथ ही अनेक स्वयं सेवी संस्थाएं भी महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने तथा समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रही है. सरकार या स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली ट्रेनिंग मुफ्त होती है.
ऐसी ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं को रूकने व उनके खानपान की व्यवस्था भी संस्था द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है. ट्रेनिंग के बाद कार्य को शुरू करने के लिए आर्थिक मदद या सबसीडी वाले लोन उपलब्ध कराएं जाते है.
किस तरह की ट्रेनिंग दी जाती है
छोटे कारोबार शुरू करने के लिए खासकर सिलाई, कढ़ाई, ज्वैलरी मेकिंग, मेंहदी, आचार, पापड़, जैम, मुरब्बा, ब्युटीशियन आदि की ट्रेनिंग दी जाती है. ताकि इसे सिखने वाली महिलाएं बड़ी आसानी से अपना कारोबार शुरू कर सकते.
घर की एक महिला सदस्य ट्रेनिंग लेने के बाद घर की अन्य सदस्यों को भी सीखा सकती है. इससे उनकी इनकम दुगूनी हो सकती है.
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महिलाएं चाहे तो समूह बनाकर भी इस कार्य को कर सकती है.
सरकार द्वारा समय समय पर लगाएं जाने वाले व्यापार मेले में स्टाॅल लगाने के लिए भी आमंत्रित किया जाता है. उन्हें अपने राज्य से प्रतिनिधि के रूप में दूसरे राज्यों में लगने वाले मेले में स्टाॅल लगाने के लिए भेजा जाता है.
वहां आने-जाने, रूकने, खाने-पीने आदि का खर्च सरकार उठाती है. अच्छा बिजनेस करने वाली लघु महिला उद्यमियों को सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया जाता है.
महिलाओं को जब भी ऐसा कोई मौका मिले तो अपनी रूचि के अनुरूप ट्रेनिंग अवश्य लेनी चाहिए. इसके लिए लोकल लेबल पर स्वयंसेवी संस्थाओं, महिला समूह या सरकारी विभाग से सम्पर्क करती रहे. इस तरह के कारोबार से आप अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है और रोजगार के साथ साथ समाज में अपनी एक पहचान बना सकती है.
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