पटाखों का बिजनेस | Start your own cracker (Fireworks) business this diwali

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Start your own cracker (Fireworks) business this diwali | मुनाफे का कारोबार दिवाली में करें पटाखों का बिजनेस

 

पटाखों का बिजनेस | Start your own cracker (Fireworks) business this diwali. दिवाली हंसीखुशी से मनया जाने वाला खास त्यौहार है. पटाखों cracker (Fireworks)के बिना दीवाली पूरी नहीं होती. दीवाली के कुछ दिनों में पूरे देश में पटाखों का करोड़ों-अरबों का कारोबार होता है. ऐसे में cracker (Fireworks) business पटाखों का बिजनेस कर अच्छी कमाई कर सकते हैं.

दिवाली सीजन पटाखों का बिजनेस (Fireworks) business करने का एक अच्छा मौका है. दीवाली के समय बड़े कारोबारियों के साथ छोटे कारोबारी भी पटाखों के बिजनेस (Fireworks) business के द्वारा बड़ा मुनाफा कमाते हैं. थोड़े से पैसे लगा कर मात्र 15 दिनों में लाखों रुपए का कारोबार कर सकते हैं. पटाखों का बिजनेस (Fireworks) business मात्र 10 हजार रुपए से शुरू कर सकते हैं.

पटाखों का बिजनेस (Fireworks) business करने के लिए लायसेंस लेना जरूरी है. बिना लायसेंस के (Fireworks) business को करने पर पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर सजा व जुर्मानों या दोनों हो सकता है. केवल 200 रुपए और 500 रुपए में लायसेंस लेकर पटाखों का बिजनेस शुरू कर सकते हैं.

लायसेंस लेने से लेकर पटाखा बेचने तक क्या-क्या करना होता है. इस बारे में हम यहां जानकारी दे रहे हैं. लायसेंस के लिए कहां आवेदन करें, किस डिपार्टमेंट से एनओसी लेनी होगी और कितने प्रकार के लायसेंस होते हैं. पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल्स को अंत तक जरूर पढ़ें.

 

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क्या है पटाखे cracker (Fireworks) बेचने के लिए लायसेंस लेने का प्रॉसेस? किन-किन डिपार्टमेंट से लेना होता है लायसेंस

 

एक्सप्लोसिव रूल 2008 Explosive Rule 2008 के मुताबिक पटाखे बेचने के लिए पुलिस से लायसेंस लेना होता है. लायसेंस के लिए डीसीपी ऑफिस में आवेदन करना होता है. आवेदन के बाद डीसीपी ऑफिस द्वारा लायसेंस नंबर इश्यु कर दिया जाता है. इस नंबर को दिखा कर कारोबारी को लोकल पुलिस, पुलिस हेडक्वार्टर, ऑपरेशन सेल, फायर सर्विसेज और एमसीडी से एनओसी लेनी होती है. एनओसी मिलने के बाद डीसीपी ऑफिस से ही लाइसेंस एलाट कर दिया जाता है.

पुलिस द्वारा पटाखा कारोबार के लिए दो तरह के लायसेंस दिया जाता है. इनमें एक परमानेंट और दूसरा टेम्परेरी लायसेंस होता है.

 

क्या है परमानेंट और टेम्परेरी पटाखा लायसेंस में फर्क What is the difference between permanent and temporary Cracker license

 

परमानेंट पटाखा लायसेंस Permanent Cracker License

 

परमानेंट लायसेंस शहर के बड़े-बड़े कारोबारियों के पास होता है. दरअसल, हर साल नए कारोबारियों के जुड़ने से परमानेंट लायसेंस देना बंद कर दिया है. हालांकि पुराने कारोबारी जिनके पास परमानेंट लाइसेंस है उन्हें हर साल इसे रिन्यू कराना होता है. परमानेंट लायसेंस वालों के पास डायरेक्टर शिवाकाशी से थोक में माल लेने का अधिकार होता है.

 

टैम्परेरी पटाखा लायसेंस Tamperry cracker license

 

टैम्परेरी लायसेंस हर साल बनाए जाते हैं. फेस्टिव सीजन खास कर छीपावली में पटाखा बिजनेस करने के लिए टेम्परेरी लायसेंस की जरूरत होती है. लाइसेंस लेने के लिए प्रक्रिया वही होती है. लगातार तीन साल तक टैम्परेरी लायसेंस के जरिए कारोबार करने वाले परमानेंट लायसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं. टैम्परेरी लायसेंस वालो कारोबारियों को शिवाकाशी से डायरेक्ट माल मंगवाने की अनुमति नहीं मिलती है. वे स्थानीय मार्केट के बड़े कारोबारी परमानेंट लायसेंस होल्डर से पटाखा खरीद कर बेच सकते हैं.

 

पटाखा लायसेंस की फीस Cracker license fees

 

देश के प्रत्येक राज्य में पटाखा लायसेंस के अपने-अपने नियम है. इस बारे में वे अपने जिला के डीसीपी आॅफिस से इस बारे में पता कर सकते हैं. जिला पुलिस की वेबसाइट पर भी इस बारे में जानकारी मिल जाएगी. दोनों लायसेंस की फीस 200 रुपए से 500 रूपए के बीच होती है.

 

पटाखा लाइसेंस के लिए फॉर्म Form for cracker license

 

पटाखा लायसेंस के लिए फॉर्म पुलिस की वेबसाइट से मिल जाएगा. लायसेंस डीसीपी (डिस्ट्रिक डिप्टी कमिश्नर) द्वारा जारी किया जाता है. आप अपने एरिया के डीसीपी ऑफिस में जाकर भी फॉर्म भर सकते हैं.- फॉर्म जमा करने के बाद पुलिस वेरिफकेशन किया जाता है. बाद में दशहरे से लेकर दिवाली तक के लिए करीब एक महीने के लिए यह लायसेंस जारी किया जाता है.

 

टेम्परेरी लाइसेंस मिलने पर चाइनीज और भारतीय कंपनियों के पटाखे बेच सकते हैं.

  • पटाखा बिजनेस के लिए अन्य नियम भारत सरकार के विस्फोटक अधिनियम 1984 और विस्फोटक विनियम 2008 के अध्याय 7 के अनुसार पटाखों के परमानेंट व टेम्परेरी बिजनेस के लिए नियम को हर लाइसेंसधारक को इनका पालन करने के लिए बाध्य हैं.
  • नियम 83 के अनुसार पटाखा बिक्री की स्थायी दुकान कांक्रीट से बनी हुई हो. आकार नौ वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्गमीटर से कम होनी चाहिए.
  • 100 किलो तक के पटाखे बेचने के लिए दुकान या शेड का पक्का होना नहीं है, लेकिन इससे अधिक पटाखे बेचने के लिए दुकान या पक्का शेड होना जरूरी है.
  • पटाखा दुकान अन्य किसी भी दुकान से 15 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए.
  • दुकान पर रेत के बैग, दमकल उपकरण तथा वाटर बकेट होना चाहिए.
  • दुकान में कोई बिजली उपकरण, लैंप, बैटरी या चिंगारी पैदा करनेवाला सामान, ज्वलनशील पदार्थ आदि नहीं होना चाहिए.
  •  दुकान ऐसी जगह पर होनी चाहिए जहां दमकल की गाड़ी आराम से तत्काल पहुंच सके.
  • पटाखा बिजनेस के लिए एप्लिकेशन फॉर्म के साथ दुकान या शेड का साइट प्लान, मालिकाना हक का प्रूफ और फोटोग्राफ देना होता हैं.

 

कितना प्रॉफिट मार्जिन मिलेगा पटाखों के कारोबार में How much profit margin will be given in the business of firecrackers

पटाखों बिजनेस में रिटेलर को भारतीय पटाखों पर 30 से 35 फीसदी, तथा चीनी पटाखों पर 35 से 50 फीसदी तक का प्रॉफिट मार्जिन मिल जाता है.

 

मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं पटाखे Crackers are harmful to human health

 

अधिकांश पटाखे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही हैं. इन पर रोक के लिए नियम बनाएं गए है, परंतु प्रशासन की लापरवाही की वजह से तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री पर रोक नहीं लग पाती है. ऐसे में मानक मात्रा से ज्यादा डेसिबल की आवाज वाले पटाखों की बिक्री भी खूब होती है. इससे सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. अस्थमा यानी दमा के रोगी को धुएं के प्रदूषण से अस्थमा का अटैक आ सकता है. बच्चों के सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. वहीं, तेज आवाज वाले पटाखों से बच्चों, वृद्ध और गर्भवती महिला को दूर रखना चाहिए. तेज आवाज कई बार हृदयगति को असामान्य कर देती है. पटाखों से अनेक तरह की दुर्धटनाएं भी होती है.

 

पटाखों के आवाज के नियम Fireworks Rules of Voice

 

नियमों के मुताबिक पटाखों की आवाज दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए शोर का मानक शहरी क्षेत्र में सुबह छह से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल और रात 10 से सुबह छह बजे तक 45 डेसिबल रहना चाहिए. इसे ज्यादा ध्वनि या शोर कुछ समय बाद मानव को बेचैन करते हैं. 95 डेसिबल की आवाज कान को प्रभावित करती है और 110 डेसिबल से ज्यादा आवाज हो, तो कान का पर्दा फटने का डर रहता है. बाजार में बिकने वाले पटाखे की ध्वनि क्षमता 120 डेसिबल या उससे ज्यादा भी देखी गई है.

 

आर्थिक नुकसान

 

शारीरिक व पर्यावरण के अनुसान के साथ बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होता है. प्रति वर्ष करोड़ों पटाखों के रूप में रूप्ए जल कर खाक हा जाते हैं. इन सब के बावजूद लोग इस ओर ध्यान नहीं देते. इस बारे में हर किसी को सोचना जरूरी है. इस बारे में आप क्या सोचते हैं. कमेंट बाक्स में जरूर लिखना.

 

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