Pearl Farming : बनना है करोड़पति मोती की खेती करें
मोती यानी पर्ल Pearl प्राकृतिक रत्न है. यह सीप में तैयार होता है. यह काफी मंहगा रत्न है. मोती के आभूषण बनाएं जाते है जो काफी लोकप्रिय है. इसके अलावा मोती का उपयोग ज्योतिष शास्त्र, तंत्र क्रियाओं तथा अनेक प्रकार की दवाओं के निर्माण में किया जाता है.
इसके दोहन तथा प्रदूषण की वजह से प्राकृतिक रूप से तैयार मोतियों की संख्या काफी घटती जा रही है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने मोतियों को सीप के द्वारा तैयार करने का कृत्रिम तरीका भी निकाल लिया है. कृत्रिम मोती Artificial pearlतैयार करने के लिए गांव में किसी तालाब की आवश्यकता होती है. इस तरह से कृत्रिम मोती pearl तैयार करने को, मोती की खेती Pearl Farming करना कहा जाता है.
पूरी दुनिया में मोतियों का बिजनेस Pearl Business करीब 30 हजार करोड़ रूपयों से ज्यादा का हो गया है. भारत समेत दुनिया के हर हिस्से में मोतियों pearls की डिमांड, लगातार बढ़ती जा रही है. इसकी डिमांड को देखते हुए मोती की खेती Pearl Farming करना काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. मोती निर्माण की प्रक्रिया Process de perlas
मोती Pearl का निर्माण किस तरह से किया जाता है इस बारे में जानने से पहले मोती Pearl के निर्माण प्रक्रिया को अच्छे से समझना होगा. प्राकृतिक रूप से सीप के अंदर मोती Pearl का निर्माण तब होता है जब कोई बाहरी कण जैसे बालू या फिर कोई कीट आदि सीपी के शरीर के अंदर किसी तरह से प्रवेश कर जाते है.
सीप उन्हें शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती है. ऐसे में शरीर के उस हिस्से में एक प्रकार का केमीकल निकलने लगता है जो धीरे-धीरे उसके चारों ओर कठोर परत के रूप में जमा होने लगती है. इस तरह से यह एक चमकदार मोती Pearl का रूप ले लेती है.
कृत्रिम मोती का निर्माण Process of artificial pearls
इसी प्रक्रिया को अपनाकर कृत्रिम रूप से सीप के शरीर में मोती Pearl तैयार किया जाता है. इसके लिए सर्जरी द्वारा सीप के शरीर में रेत के कण डालकर आजकल मोती Pearl का निर्माण किया जाता है जिसे कृत्रिम मोती Pearl कहा जाता है.
प्राकृतिक मोती Pearl और कृत्रिम मोती Pearl में कोई अंतर नहीं होता है. प्राकृतिक मोती Pearl में रेत के कण सीप के शरीर में अपने आप प्रवेश कर जाते है जिससे मोती तैयार हो जाते हैं. जबकि कृत्रिम मोती Pearl में सर्जरी के द्वारा कण को सीप के शरीर में प्रवेश किया जाता है.
आजकल मोती Pearl की खेती द्वारा सिर्फ गोलाकार मोती Pearl ही नहीं बल्कि डिजाइनर मोतियों Pearls का भी निर्माण किया जाने लगा है. जिनमें विभिन्न आकृतियों जैसे ओम, गणेश, क्रास, साई आदि वाले मोती Pearl तैयार किए जा रहे रहे जो काफी मंहगे दाम में बिकते हैं.
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मोती के उत्पादन की प्रक्रिया Pearl production process
मोती Pearl के उत्पादन की प्रक्रिया काफी कठिन है. क्योंकि सीप का चयन करना और सर्जरी करना एक जटिल क्रिया है. इसके लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है. बिना ट्रेनिंग के मोती की खेती करना मुश्किल काम है.
मोती Pearl उत्पादन का कार्य कुल 6 प्रमुख चरण में होता है. ट्रेनिंग के दौरान इस बारे में पूरी जानकारी दी जाती है.
- सबसे पहले चरण में अच्छी किस्म के सीपीं को इकट्ठा किया जाता है.
- इसके बाद इन्हें इस्तेमाल के अनुकूल बनाया जाता है.
- हर एक सीप की सर्जरी की जाती है.
- सीप की सर्जरी के बाद उनकी अच्छे से देखभाल की जाती है ताकि उनके शरीर पर बनें घाव पर किसी प्रकार का इफैक्शन ना हो.
- इसके बाद सीपों को तालाब में उपजाने के प्रक्रिया शुरू होती है. इस दौरान सीपों के खानपान, दवा आदि पर ध्यान दिया जाता है.
- अतं में सीपियों से मोतियों को निकाला जाता है.
मोती फार्मिंग की ट्रेनिंग देने वाली सरकारी संस्था Government organization giving training of pearl farming
इंस्टिट्यूट आॅफ फ्रेश वाटर एग्रीकल्चर, भुवनेश्वर द्वारा 15 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है. यहां दिए गए लिंक पर क्लिक करके वेबसाइट पर जाकर इस बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं. सरकारी संस्था के अलावा कई प्रायवेट संस्थाएं भी है जो काफी कम पैसों में पांच से सात दिन की ट्रेनिंग देते है. ऐसे जगहों से भी ट्रेनिंग लेकर आप घर पर मोती का उत्पादन कर सकते हैं. इस बारे में अपने शहर के आसपास दिए जाने वाले पर्ल फार्मिंग Pearl Farming के ट्रेनिंग के बारे में इंटरनेट पर भी सर्च कर सकते हैं.
इंस्टिट्यूट आॅफ फ्रेश वाटर एग्रीकल्चर, भुवनेश्वर
Address: Rail Vihar, Chandrasekharpur, Bhubaneswar, Odisha 751023 Phone: 078732 61435
कृत्रिम मोती pearl तैयार करने का प्रशिक्षण लेने के बाद इसका उत्पादन बड़े स्तर पर शुरू करने के लिए बैंक द्वारा लोन दिया जाता है. नाबार्ड और अन्य कामर्शियल बैंक 15 साल के लिए सिंगल इंडस्ट्रीज लोन देती है. केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर इनके लिए योजनाएं भी चलाएं जाते है. बड़े स्तर पर मोतियों Pearls की खेती कर कुछ ही सालों में करोड़ों रूपए कमा सकते हैं.
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अच्छी तरह से सोच-विचार लें
मोती Pearl की खेती शुरू करने से पहले आप अच्छी तरह से सोच-विचार कर लें. यह काफी मेहनत और पेशन वाला काम है. जब आपको लगे कि आप इस बिजनेस को कर पाएंगे तभी इसकी ट्रेनिंग लें. क्योंकि इस बिजनेस में समय, कड़ी मेहनत और धैर्य की जरूरत होती है.
मोती Pearl की खेती में की गई मेहनत का परिणाम डेढ़ साल के लम्बे इंतजार के बाद मिलता है. जिसे बड़े धेर्य के साथ पूरा करना होता है. मोती Pearl की खेती की देखभाल पर जितना अधिक समय दिया जाता है इसके उत्पादन का लाभ उतना ही अधिक मिलता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आप सीपी की अच्छे से देखभाल कर पाते हैं तो इस बिजनेस में रिस्क काफी कम है. पर्ल फार्मिंग Pearl Farming को शुरू करने के कई फायदे हैं. क्योंकि खेती द्वारा किसी भी फसल को तैयार करने में मौसम की मार झेलनी पड़ती है. इसके बाद फसल तैयार होने पर इसे बेचने के लिए मार्केट के सही भाव न मिलने की परेशानी का सामना करना पड़ता है. पर पर्ल फार्मिंग Pearl Farming में इन दोनों समस्याओं से बच सकते हैं.
मोतियों के बिक्री के बडे मार्केट पर्ल मार्केट Pearl Market
हमारे देश में मोतियों Pearls की बिक्री के लिए हैदराबाद, सूरत, अहमदबाद, मुंबई आदि शहर है. जो मोती के बिजनेस Pearl Business के बड़े मार्केट Pearl Market है. इन जगहों में मोतियों को अच्छी कीमत में बेच सकते है. इसके अलावा आजकल इंटरनेट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर मोतियों Pearls को बेच सकते हैं.
इंडियन पर्ल कंपनी देश की एक ऐसी कंपनी है जो मोती तैयार करने का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ मोतियों Pearls को अच्छे दामों में खरीदने का काम भी करती है. आप चाहे तो इस कंपनी के साथ जुड़कर भी मोती Pearl का बिजनेस कर सकते हैं.
फ्रेंड्स, मोती की खेती Pearl Farming के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी. इसे लाइक करें अपने दोस्तों को शेयर करें ताकि उन्हें भी इस बारे में जानकारी मिल सके. इससे संबंधित कोई सवाल होने पर जरूर लिखें हम उसका जबाव जरूर देंगे. (copyright business maantra)
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