Hidden Bank Charges बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो बैंक नहीं बताता

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Hidden Bank Charges बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो बैंक नहीं बताता

 

Hidden Bank Charges बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो बैंक नहीं बताता. आज हम बैंक के छुपे हुए चार्ज के बारे में जानकारी दे रहे हैं. जो कि बैंक यानी बैंक के अधिकारियों द्वारा एकाउंट होल्डर को बताया नहीं जाता हैं.

 

आज बैंक में खाता होना जरूरत बन गई है. बैंक में जब भी आप खाता खुलवाने जाते है. उस वक्त बैंक के अधिकारी आपकी जी हुजूरी में लग जाते हैं. जैसे ही खाता खुल जाता है. इसके बाद गिरगिट की तरह रंग बदलने लग जाते हैं.

मेरे कहने का मतलब है, एकाउंट खोलते वक्त बैंक हर कस्टमर को बहुत सारी बातें खुल कर नहीं बताता है. जिसकी वजह से कस्टमर को नुकसान होता है और बैंक को फायदा. आगे हम बताएंगे. बैंक की कोई भी सर्विस फ्री में नहीं होती, हर सर्विस के चार्ज लगाता हैं. कई बार तो बैंक बिना सर्विस दिए भी बहुत सारे पैसे एकाउंट होल्डर से वसूल लेता है.

आज हम बैंक के छुपे हुए चार्ज के बारे में जानकारी दे रहे हैं. जो कि बैंक यानी बैंक के अधिकारियों द्वारा एकाउंट होल्डर को बताया नहीं जाता हैं.

हर किसी के लिए यह पोस्ट काफी जानकारी प्ररक होने वाली है. पोस्ट के द्वारा आप भी जान सकते कि बैंक किस-किस तरह से कस्टमर की आंखों में उंगली डाल कर उसकी जेब से पैसे निकालता है. मजेदार बात यह है कि आरबीआई भी इस मामले में बैंक को कुछ नहीं कहता है. 49 Rupees Business Idea 2020 | Low budget startups in india के बारे में जानकारी चाहते हैं तो यहां क्लिक करें.

 

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छुपे हुए चार्ज

 

बैंक अपनी ओर से सुविधा देने के बहाने कदम-दर-कदम Bank Charges काटता हैं. बैंक ऐसी बातों पर बैंक सर्विस चार्ज काट लेता है. इस बारे में शायद आपको पता भी ना हो. वो तो सही है पर इस बारे में मजेदार बात यह है कि बैंक के अधिकारी भी कुछ नहीं बता पाते हैं कि यह पैसा (Bank Charges) क्यों कटा या फिर वे कस्टमर को कुछ बताना नहीं चाहते हैं.  Super easy jobs | बेहद आसान मस्ती भरे जाॅब केको आप जरूर पढ़ें.

आईये जानते हैं बैंक किस-किस तरह से Bank Charges कस्टमर की जेब पर डाका डालता है.

 

 

शुरू हो जाती है पहले दिन से लूट

 

बैंक में इसकी शुरूआत पहले दिन से शुरू हो जाती है. जब भी कोई बैंक में खाता खुलवाता है. उस समय एक तय रकम बतायी जाती है. उतनी रकम खाते में रखना जरूरी है. उस राशि से एक रूपये एक दिन भी कम होने पर मंथली चार्ज देना होता है.

बैंक में कई तरह के एकाउंट होते हैं. जैसे करंट अकाउंट. सेविंग्स अकाउंट, रेकरिंग अकाउंट. फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट आदि सभी एकाउंट के नियम अलग-अलग होते हैं.

आम खाताधारी को उसके अपने एकाउंट के बारे में बैंक द्वारा पूरी जानकारी कभी नहीं दी जाती है. किसी बहाने उसका पैसा जब कटता है तब उसे पता चलता है कि बैंक द्वारा पैसे काटा गया है.

उस वक्त बैंक से पूछने पर बैंक के अधिकारी सीधे खाताधारी से कहते हैं. इस चार्ज (बैंक सर्विस चार्ज) के बारे में आपको बता दिया गया था. इसे मेंटेन करना आप की जिम्मेदारी है. 10 computer related business ideas | 10 कंप्यूटर संबंधित बिजनेस से करें अच्छी कमाई की तानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

 

सर्विस चार्ज

 

बैंक के इंटरनेट बैंकिंग सर्विस या मोबाइल बैंकिंग सर्विस इस्तेमाल करने पर भी चार्ज (बैंक सर्विस चार्ज)  देना होता है. बैंक द्वारा दिये गये, चेकबुक के भी मनमान पैसे वसूल किए जाते हैं.

एकाउंट होल्डर को दी गई एटीएम सुविधा मुफ्त में नहीं दी जाती. उसके चार्ज लिए जाते हैं. कुछ बैंक एटीएम कार्ड बनवाने तक के पैसे लेते हैं. एटीएम कार्ड के सालाना चार्ज लिया जाता है. पैसे निकालने पर भी सर्विस चार्ज लिए जाते हैं.

 

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बैंक में किए गए ट्रांजेक्शन के बारे में जानकारी देने के लिए जो एसएमएस भेजा जाता है. बैंक उसके भी पैसे लेता है. यह चार्ज तीन-तीन माह में देना होता है. अधिकतर बैंक के एसएमएस सिस्टम सही नहीं है. हर बार एसएमएस कस्टमर के पास नहीं पहुंचता है.

एकाउंट में मौजूदा बैलेंस की जांच, एटीएम का पिन बदलना हो या मिनी स्टेटमेंट लेना बैंक इसके भी चार्ज वसूल करता है.
कुछ बैंक में एक निश्चित रकम से अधिक निकालने या जमा करने पर भी बैंक द्वारा चार्ज वसूला जाता है.

बैंक कहता है, उसके किसी भी शाखा में जाकर लेनदेन कर सकते हैं. पर बैंक के होम ब्रांच और नाॅन होम ब्रांच के नियमों में काफी फर्क है. हर लेन देन पर Bank Charges देना होता है.

 

आरबीआई के नियम

 

बैंक के किसी भी सर्विस के इस्तेमाल के चार्ज समय-समय पर आरबीआई के नियम के अनुसार बदलते रहते हैं. आरबीआई द्वारा बनाएं गए किसी भी नए नियम की जानकारी बैंक द्वारा कस्टमर को नहीं दी जाती है. कहने के लिए यह नियम आरबीआई द्वारा जारी किया जाता है. पर इन सब के बावजूद हर बैंक अपने तरीके से इसे लागू करता है.

 

सेविंग्स और फिक्स्ड डिपॉजिट

 

सेविंग्स और फिक्स्ड डिपॉजिट पर देने वाला ब्याज घट रहा है, लेने वाला ब्याज बढ़ रहा है

अपनी मेहनत की कमाई बैंक में रखने पर उस पर मिलने वाला ब्याज लगाता घटता जा रहा है. कभी बचत खाते पर 8 परसेंट तक का ब्याज मिल जाता था. आज यह घट कर 4 परसेंट पर आ गया है. अधिकतर बैंक द्वारा 6 परसेंट ब्याज देने की बात की जाती है. पर वह 1 लाख से ऊपर की जमा राशि पर दी जाती है.

 

लोन पर मनमाना ब्याज Arbitrary interest on loan

 

बैंक द्वारा दिए जाने वाले लोन पर ब्याज की दर लगातार बढ़ती जा रही है. बैंक द्वारा कस्टमर को लोन दिया जाता है. उस पर मनमाना ब्याज लिया जाता है. बैंक द्वारा कई तरीके के लोन दिए जाते हैं. जैसे पर्सनल लोन, होम लोन, कार लोन, बाइक लोन, एजुकेशन लोन, गोल्ड लोन, क्रेडिट कार्ड लोन से छोटे-बड़े लोन ले सकते हैं. हर लोन पर ब्याज की दर अलग-अलग है.

हर लोन की एक प्रोसेसिंग फीस भी ली जाती है. वह भी हर बैंक की अलग-अलग है. समय के साथ-साथ यह फीस भी काफी बढ़ती जा रही है. हर बैंक में लोन की ब्याज दर और प्रोससिंग फीस अलग-अलग क्यों है. इस बारे में आरबीआई ने कभी स्पष्ट नहीं किया.

देखा गया है, बैंक कस्टमर के पक्ष में कोई रास्ता नहीं निकालता है. बैंक को लेकर कस्टमर की स्थिति उन उगते बनता है ना निगलते. कस्टमर को अपना सिर पीटने के अलावा कोई रास्ता नहीं आता है.

 

  1. jan aushadhi kendra | pradhan mantri jan aushadhi Kendra

 

फ्रेंड्स, हमें उम्मीद है बैंक के छुपे हुए चार्ज, जो बैंक नहीं बताता के बारे में दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी. जानकारी पसंद आने पर पोस्ट को जरूर शेयर करें. यदि आपके साथ भी बैंक में ऐसा कुछ हुआ है तो कमेंट बाक्स में जरूर शेयर करें. बिजनेस मंत्रा ब्लाग पर जो लोग पहली बार आएं है. ब्लाग के ऊपर की ओर राइट साइड में बनें फाॅलो के बटन को क्लिक करके ब्लाग को फाॅलो कर लें.

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