लघु उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी योजनाओं और सरकार द्वारा दी जाने वाली मदद के बारे में जानते है. लघु उद्योग यानी ऐसे काम जो छोटे स्तर पर किए जाते है. जिसे उद्यमी स्वयं संचालित करता है या किसी पार्टनर के साथ मिलकर करता है. लघु उद्योग को छोटे से जगह पर किया जाता है या फिर घर से भी शुरू किया जा सकता है. लघु उद्योग को शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है. लघु उद्योग स्थापित करने के लिए मशीनें, कच्चा माल, मजदूर, और लोन भी सस्ते दर पर मिलते है.
लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा मदद भी दी जाती है. निर्माण क्षेत्र में लघु उद्योगों के लिए आरक्षण विद्यमान है. लघु उद्योग करने वालो को वित्त संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार लोन देती है इसमें सब्सिडी की सुविधा भी है.
लघु उद्योग को अलग-अलग तीन श्रेणी में रखा गया है. अति या सूक्ष्म लघु उद्योग, लघु उद्योग और मध्यम उद्योग.
अब आप यह भी जान लें कि अति लघु उद्योग, लघु उद्योग, मध्यम उद्योग को भी दो क्षेत्र में बांटा गया है.
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पहला है निर्माण क्षेत्र यानी म्युनिफेक्चरिंग सेक्टर
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दूसरा है सेवा क्षेत्र यानी सर्विस सेक्टर
इन दोनों सेक्टर को भी तीन श्रेणियों में बांटा गया है.
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सूक्ष्म लघु उद्योग
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लघु उद्योग
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मध्यम उद्योग
निर्माण क्षेत्र के अंतर्गत सूक्ष्म लघु उद्योग में 50,000 से अधिक और 25 लाख से कम निवेश वाले उद्योगों को रखा गया है. इसी तरह 25 लाख से अधिक और पांच करोड़ से कम निवेश वाले उद्योग को लघु उद्योग की श्रेणी में आते है. 5 करोड़ से अधिक और 10 करोड़ से कम निवेश वाले उद्योग को मध्यम उद्योग की श्रेणी में रखा गया है. इसमें जमीन या बिल्डिंग पर किया गया खर्च शामिल नहीं है.
सेवा क्षेत्र यानी सर्विस सेक्टर. सर्विस सेक्टर को भी तीन श्रेणी में रखा गया है. पहले श्रेणी में उन उद्योगों को जो 10 लाख से कम का निवेश करके स्थापित किया गया है. दूसरे श्रेणी में, लघु उद्योग जो 10 लाख से ज्यादा और 2 करोड़ से कम का निवेश करके आरंभ किया गया है. और तीसरा मध्यम वर्गीय उद्योग के अंतर्गत उन उद्योगों को रखा गया है, जिन्हें दो करोड़ से ज्यादा और पांच करोड़ से कम का निवेश किया गया है. इसमें भी जमीन या बिल्डिंग पर किया गया खर्च शामिल नहीं है.
उद्योग रजिस्ट्रेशन
भारत में छोटे स्तर पर उद्योग करने वालो के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि आप उद्योग को बिजनेस के तौर पर करना चाहते है तो इसका रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है.
इसके अलावा यदि आप लघु उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा चलाएं जाने वाली योजनाओं और मिलने वाली सहायता का लाभ लेना चाहते है तो इसके लिए आपको उद्योग का रजिस्टेशन एस डी आई से करवाना अनिवार्य है.
लघु उद्योगों यानी स्माॅल स्केल इंडस्ट्रीज का रजिस्ट्रेशन स्टेट डायरेक्टर आॅफ इंडस्ट्री यानी एस डी आई (Small Directorate of Industries) से होता है. कुछ लघु उद्योग ऐसे है जिनका उत्पादन करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों से अनुमति लेना अनिवार्य है.
http://laghu-udyog.gov.in/index.html
लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन दो तरह से करवाया जा सकता है. पहला स्थाई तौर पर और दूसरा है अस्थाई तौर पर.
अस्थाई रजिस्ट्रेशन
अस्थाई रजिस्ट्रेशन लघु उद्योग की स्थापना से पूर्व किया जाता है. इसके अंतर्गत मिलने वाले प्रमाणपत्र की वैधता दो वर्ष की होती है. यदि इन दो वर्षो में किसी प्रकार का कोई उत्पादन नहीं हुआ है तो उद्यमी दोबारा उसी प्रमाण पत्र को रेनुवल करवा सकता है, लेकिन इस के बाद उद्यमी को सिर्फ छह माह का समय दिया जाता है. छह माह बाद इसकी वैधता खत्म हो जाती है.
स्थाई रजिस्ट्रेशन
यह रजिस्ट्रेशन, अस्थाई रजिस्ट्रेशन के दो वर्ष बाद मिलता है वह भी उस वक्त जब अस्थाई प्रमाण पत्र की वैधता खत्म हो जाती है और लघु उद्योग पूरी तरह से उत्पादन करने लगता है. स्थाई रजिस्ट्रेशन भी राज्य उद्योग निर्देशालय के द्वारा कराया जाता है. स्थाई रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र की वैधता तब तक रहती है. जब तक वह उद्योग चल रहा है.
वर्तमान समय में रजिस्ट्रेशन करवाना और भी सरल हो गया. अब आप आॅनलाइन भी रजिस्ट्रेशन करवा सकते है. कोई व्यक्ति जो लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहता है. वह यूएएम (UAM) के पोर्टल पर जाकर अपने उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवा सकता है. लेकिन इसके लिए आधारकार्ड का होना जरूरी है. आधारकार्ड के आधार पर ही आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन भरा जाता है.
आॅनलाइन फाॅर्म भरते समय उसमें पूछी गई जानकारियों को सही-सही भरना चाहिए. क्योंकि एक बार सबमिट हो जाने के बाद उसमें किसी भी तरह की कोई फेर बदल नहीं की जा सकती है.
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यूएएम क्या है?
यूएएम यानी उद्योग आधार मेमोरेंडम (Uyog Aadhaar Memorandum) है. साधारण शब्दों में हम कह सकते है उद्योग, लघु उद्योग और कुटीर उद्योग अर्थात एम एस एम ई (MSME) को आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने की एक प्रक्रिया है. इसके अंतर्गत उद्यमी को अपना आधार नंबर, नाम, उद्योग का नाम, उद्योग की स्थापना करने की तिथि आदि की जानकारी देनी होती है. यह फिलहाल मुफ्त है. भविष्य में इसके लिए चार्ज देना पड़ सकता है.
लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाना क्यों जरूरी है?
लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाना इसलिए जरूरी है ताकि सरकार द्वारा लघु उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाले लाभ आपको मिल सके. अब आईए देखते है लघु उद्योग का रजिस्ट्रेशन करवाने पर कौन कौन से लाभ मिल सकते हैं.
1 बैंको से ऋण मिलने में आसानी होती है.
2 बैंको से मिलने वाले लोन पर ब्याज दर कम होता है.
3 एक्साईज टैक्स में छूट की योजना
4 कानून के मुताबिक प्रत्यक्ष छूट
5 आरक्षण का प्रावधान
आप चाहे किसी भी श्रेणी में कोई भी उद्योग क्यों न कर रहे है उसका रजिस्ट्रेशन जरूर करवाएं क्योंकि यह आपके हित में होगा.
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