छोटे मुद्दे बड़े मुद्दे
दो दोस्त आपस में बातें कर रहे थे. बातों के दौरान ही पहले ने बताया कि उस का अपनी पत्नी से कभी झगड़ा नहीं होता है.
‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?’’ दूसरे दोस्त ने पूछा.
‘‘बड़ा आसान है, हर छोटी बात या छोटे मुद्दों पर फैसला वह लेती है और सारे बड़े मुद्दों पर फैसले मैं लेता हूं, ’’ पहला दोस्त बोला.
‘‘लेकिन छोटे-बड़े मुद्दे तुम डिसाइड कैसे करते हो?’’
‘‘सारे छोटे मुद्दें जैसे घर में क्या लाना है, कौन सी कार खरीदनी है, बच्चों को कौन से स्कूल में पढ़ाना है, घर खर्च कैसे चलाना है, कितनी बचत करनी है, हमें किस चीज की जरूरत है आदि बातों के फैसले वह लेती है और मैं यह डिसाइड करता हूं कि चीन का माल हमें चाहिए या नहीं, सचिन तेंदुलकर को एड करना चाहिए या नहीं, भारत को पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए या नहीं आदि.’’
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एक और प्रेम पत्र
एक कंपनी के एचआर एग्जीक्यूटिव को अपने बाॅस की सेक्रेटरी से प्रेम हो गया, अपने प्यार का इजहार उसने सेक्रेटरी को प्यार भरा ईमेल भेज कर कुछ यों किया,
प्यारी जूलियट,
मुझे तुम्हें यह सूचित करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि बिते दिन हुई हमारी मुलाकात के परिणामस्वरूप मुझे तुम से प्रेम हो गया है और मैं तुम्हें अपनी प्रेमिका बनने का आॅफर देना चाहता हूं.
हमारा प्रेम प्रसंग फिलहाल कुछ ही महीने के प्रोबेशन पीरियड का होगा. इस प्रोबेशन पीरियड में हम दोनों ही प्रेमीप्रेमिका बनने की ट्रेनिंग प्राप्त करेंगे.
ट्रेनिंग के सफलतापूर्वक पूरा होने पर ही हमारा रिश्ता पक्का होना निर्भर होगा और एक बात पक्की हो जाने पर तुम्हें पक्की प्रेमिका वाले सारे इंसेंटिव मिलेंगे, साथ ही एक वर्ष बाद गर्लफ्रेंड से पत्नी के रूप में प्रमोशन का सुनहरा मौका भी मिलेगा.
आरंभ में डेटिंग के दौरान होने वाला खर्चा हम दोनों आधा-आधा बांटेंगे व बाद में तुम्हारी परफोरमेंस के आधार पर मैं इस खर्च का 70 प्रतिशत वहन करूंगा.
तुम से अनुरोध है कि इस ईमेल के मिलने के 30 दिनों के भीतर ही अपना जवाब भेजें, वरना आॅफर रद्द समझें और अगर आप इस आॅफर में इंट्रेस्टेड नहीं है तो कृपया यह मेल अपनी सहकर्मी रूबी को फारवर्ड कर दें. जवाब के इंतजार में …… रोमियो